सारा परिवेश बदल चुका है अब बदल गया है पड़ोसी...। सारा परिवेश बदल चुका है अब बदल गया है पड़ोसी...।
पता नहीं लोग इतने मगरूर क्यों है, अपने ही अहम में चूर क्यों है। पता नहीं लोग इतने मगरूर क्यों है, अपने ही अहम में चूर क्यों है।
सबकुछ देखते हुए समझते हुए भी धृतराष्ट्र और गाँधारी। सबकुछ देखते हुए समझते हुए भी धृतराष्ट्र और गाँधारी।
कुछ आहटो का एहसास रख थोड़ा मन में विश्वास मैं पथिक निरन्तर चलता हूँ। कुछ आहटो का एहसास रख थोड़ा मन में विश्वास मैं पथिक निरन्तर चलता हूँ।
राम नाम की माला जप ली डाल गले में कण्ठी हार। मंदिर - मंदिर द्वारे - द्वारे, ढूँढ़ रहे हैं तारणहार। राम नाम की माला जप ली डाल गले में कण्ठी हार। मंदिर - मंदिर द्वारे - द्वारे, ढूँ...
कि मुकाम इश्क का दिल को छूकर रूह में उतर जाये। कि मुकाम इश्क का दिल को छूकर रूह में उतर जाये।